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Friday 28 January 2011

पत्थरों से नहीं मरी तो एके-47 से सिर में दाग दी 'तीन गोलियां'



काबुल.पत्थरों से मार-मार कर जान लेने वाले भी थक गए, अंत में अफगान तालिबान के एक लड़ाके ने बेशर्मी से एके-47 से 19 साल की इस लड़की के सिर में तीन गोलियां दाग दीं। इस दर्दनाक तालिबानी करतूत के वीडियो इंटरनेट पर जारी किए गए हैं। तालिबान के सत्ता से हटने के बाद ऐसी घटना का यह पहला वीडियो है।




अधिकारियों ने बताया कि सिद्दाका को उसकी मर्जी के खिलाफ तकरीबन चार लाख रुपए में बेच दिया गया था। वह अपने प्रेमी से शादी करना चाहती थी इसलिए उसके साथ पाकिस्तान भाग गई थी। सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद दोनों घर लौट आए। यह उनकी बड़ी भूल साबित हुई।




अफगानिस्तान के तालिबान लड़ाकों ने दोनों को उनके घरों से खींच कर निकाला और कंगारू कोर्ट ने पत्थरों से मार-मार कर जान ले लेने का फैसला सुनाया। घटना बीते अक्टूबर की अफगानिस्तान के कुंदुज के दाश्ते आर्ची जिले की है। दो मुल्लाओं ने मौत का फरमान सुनाया:




हजारों लोगों की मौजूदगी में प्रेमिका सिद्दका को कमर तक मिट्टी में गाड़ दिया गया। लोगों ने बड़े-बड़े पत्थरों से उसे मारना शुरू किया। हजारों पत्थरों की मार झेलकर सिद्दका का नीला बुर्का लहूलुहान होकर लाल हो गया। वह निढाल होकर गिर गई।




चमत्कारिक रूप से उसकी सांसें बची रह र्गई। तब तालिबान के निष्ठुर लड़ाके ने अपनी एके-47 उठाई और सिद्दका के सिर में तीन गोलियां दाग दीं। बर्बर भीड़ अल्ला हू अकबर के नारे लगाने लगी। तभी सिद्दका की जान निकल गई।चीखते-चीखते खामोश हो गया प्रेमी सिद्दका के मरने के बाद उसके प्रेमी खैयाम को भीड़ के सामने लाया गया।




उसकी आंखों पर पट्टी थी और हाथ कमर के पीछे बंधे थे। लोगों ने उसे पत्थर मारने शुरू किए। वह किसी तरह खुद को बचाता रहा, लेकिन कब तक बचाता। वह चीखता-चिल्लाता रहा। फिर सदा के लिए खामोश हो गया। खैयाम पहले से शादीशुदा था और दो बच्चों का बाप था। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने इसे उचित ठहराया है। उसका कहना है कि जो भी कुरान को जानता है उसे पता है कि पत्थरों से मार कर जान ले लेना कुरान में लिखा है।

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