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Thursday 3 February 2011

भारत में आतंक क्यों


भारत में आतंक क्यों ?
Published on February 2, 2011 by जिस तरह से वर्षाऋतु में पानी बरसता है और पूरी प्रकृति का रंग हरियाली के रूप में बदल जाता है। क्योंकि पानी वृक्षों के लिये वरदान साबित होता है। और वह फलने फूलने लगता है। और उनसे असिमित फल, स्वच्छ हवा और न जाने क्या – क्या हम पृथ्वी पर निवासरत् जीवों को प्राप्त होता है। उसमें भी मनुष्य तो उसमें से बहुत बड़ा भाग अपने लिये प्रकृति से छीन लेता है। क्योंकि मनुष्य हमेशा अन्य जीवों से आगे ही रहता आया है और हमेशा रहेगा।

यहां यह लिखकर में आपका ध्यान इस ओर लाना चाहता हूँ कि अगर कहीं पर अमृत की वर्षा होती है तो सभी को अमृत्व ही प्राप्त होता है आपको विष प्राप्त हो संभव नजर नही आता है। इसी प्रकार यदि आप भारत देश में रहने वाले समस्त लोग चाहे वह किसी भी मजहब के हो उन पर अपने चारों ओर चल रहे अच्छे या बुरे वातावरण का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता है चाहे वह कम या ज्यादा, उसकी मानसिक स्थिति पर अवश्य ही सही या गलत प्रभाव पड़ता ही है और अगर ऐंसा नही होता है तो वह अपवादस्वरूप ही हो सकता है। जिस तरह से पिछले कुछ समय में समझौता ब्लास्ट, अजमेर ब्लास्ट में नये नाम सामने आये जिसकी अभी जांच चल रही है। मैं यह नही कहता कि यह लोग सही है अगर इन्होने गलत काम किया है तो निश्चित रूप से इन्हे सजा मिलनी चाहिये, जिससे कि आगे आंतक फैलाने वालों के मन में दहसत फैल सके। पर मेंरा सवाल यह है कि, ऐंसा क्या कारण है कि इतने प्रयास करने के बावजूद आतंक पनप रहा है। वो भी भारत में। इसके लिये मेंने उपरोक्त उदाहरन दिया है वर्षाऋतु का कि अमृत बरसेगा तो अमृत ही प्राप्त होगा।

इसी तरह से इस देश ने बहुत गुलामी झेली जिसकी वजह से आज तक हम पश्चिमी सभ्यता के गुलाम ही है। उसी तरह से हम बहुत समय से पाकिस्तान द्वारा भारत में फैलाये जा रहे आतंक को झेल रहे है, देख रहे है, तो उसका प्रभाव भी कहीं न कही पड़ना निश्चित है यह बात सिद्ध होती है – समझौता ब्लास्ट में नये आरोपी बनाये गये असीमानंद के दिये गये बयान से कि हमने भी बम का जबाव बम से देने की सोची। जरा सोंचे अगर इनसे पहले अगर कोई भी आतंकी घटनाये नही हुई होती या उन पर सरकार कड़ी कार्यवाही करती तो क्या असीमानंद के मन में कभी यह सवाल उपजता कि हमें भी बम का जबाव बम से देना चाहिये, जैसे अन्य आतंकवादी भारत में आतंक फैला रहे है वैसे ही हमें भी इन आतंकियों को उन्ही की भाषा में जबाव देना चाहिये। तो यह नया आतंक पनपता क्या ? सोचने वाला विषय है। मैं असीमानंद को सही नही ठहरा रहा, हमेशा बुरा कार्य बुरा ही होता है चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो। और इसमें हमारी सरकार और नेता कहीं न कहीं अपने वोट बैंक बढ़ाने के के उद्वेश्य से इन आंतकियों का हौसला बढाते है। क्योंकि आंतकियों को पकड़े जाने पर भी यहाँ की सरकार कुछ नही करती है उदाहरण स्वरूप अफजल को आज तक फांसी नही दी गई है। क्योंकि आज हम लगभग कोई न कोई ऐसी घटना सुनते है कि फला जगह ब्लास्ट हुआ है उसमें इतने लोग मारे गये, फला जगह बलात्कार हुआ है, फला जगह यह हुआ है वो हुआ है। और मन ही मन उन्हे बुरा कहते है कि यह कैसे लोग है जो बुरा काम करने से बिल्कुल नही डरते है। पर फिर भी करते है। जरा इस विषय में गहराई मे जाकर देखों तो निकलकर आयेगा की कहीं न कही हमारी देश की सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाये जा रहे है और न ही कोई ठोस कानून बनाया गया है। जिससे यह बुरे लोग बुरा काम करने से भयभीत हों, बल्कि कोई आतंकवादी पकड़ा भी जाता है तो उसकी बड़े ही अच्छे तरह से यहाँ की सरकार हिफाजत करती है, मेहमाननमाजी करती है और तो और कसाब तथा अफजल जैसे आतंकियों से यहाँ के नेता और मंत्री इसलिये मिलने जाते है कि उन्हे जैल में कोई तकलीफ तो नही है। तथा इन्ही नेताओं में से कोई -कोई नेता तो इन आंतकियों के परिवार वालों के घर भी जाते है और उन्हे हरसंभव मदद देने की वकालत तक करते है, तथा वोट के लिये अनर्गल बयान देकर हमेशा मीडिया में बने रहते है, तो फिर क्यों नही देश में आतंक की जड़े पनपेंगी।

Writer: Ram Prajapati | Vicharmimansa

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