आप के चिन्तन को आमन्त्रण देता हूँ, श्रीमान् कि क्या सच की जानकारी केवल एक हंगामे की कोशिश है। क्या अमेरिका जैसी महाशक्ति को एक मामूली वेबसाइट इतना डरा सकती है कि उसके निर्माता को जेल में डालने की कोशिश की जाये। असांजे ने एक वेबसाइट के माध्यम से दुनिया के हुक्मरानों को आईना क्या दिखाया पूरी दुनिया में आफत सी आ गई, जब कि वो केवल सच्चाई को जनता के सामने रख रहा है। पर्दाफाश करना, पोल खोलना, गोपनीयता को भंग करना आदि ऐसे ही शब्द है जो राजनीति, कूटनीति में हमेशा से चलते रहे हैं।
राजनीति की नीति को खोल देना ही विकीलीक्स का काम था, पर ताकतवर दुनिया यह सब क्यों सहन करे, उठाओं और सच के सिपाही को जेल में डाल दो। अमेरिका, यूरोप, एशिया के सभी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति इस खुलासे से हैरान, परेशान हो रहे है सच का सामना करना बहुत मुश्किल हो गया है। अमेरिका में पाखण्ड ढूंढना वैसे ही बहुत आसान है और पाखण्डों के पर्व में सचाई की किरण किसे सुहाती है।
पूरी दुनिया में झूठ बोलना एक कला है और सरकारें, राजनेता, राजनयिक तथा अफसर झूठ बोलने, बात बदलने में माहिर होते है, लेकिन जब मूल दस्तावेज ही जनता के सामने कोई असांजे प्रस्तुत कर देता है तो मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलती है। सरकारें चाहे तो लापरवाही के लिए किसी छुटभैये की बलि ले सकती है मगर इससे क्या होने वाला है।
राजनीति के दलदल में असांजे एक कोमल पवित्र विचार की तरह है, असांजे की हत्या कर सकते हैं, मगर इस विचार की हत्या कैसे होगी जो आम जनता तक पहुँच गया है। सच की खोज का विचार, तथ्यों को आम आदमी तक पहुँचाने का विचार। सच दिखाने की एक कीमत देनी पड़ती है। गेलिलियों को फांसी पर चढ़ाने से पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना बन्द नहीं कर देती अर्थात सत्य को दबाना हकीकत को दबाना पत्रकारिता के इन्टरनेटी युग में संभव नहीं। राजनीति में सफलता के दस बाप हो जाते है और असफलता अवैध सन्तान की तरह मारी मारी फिरती है। हर बार सरकारी खिड़कियों से हवा, रोशनी नहीं आती कई बार सरकारी दरवाजों, खिड़कियों से अन्धेरा भी आता है। कोहरा भी आता है, और हर बार कोहरे को साफ करने के लिए आईने के सामने खड़ा होना आवश्यक हो जाता है।
मत कहो कि राजा नंगा है। उसने सोने की पारदर्शी पोशाक पहन रखी है। यारों सरकारें गाल बजाने से नहीं चलती। सरकारें धक्के या ठेले से भी नहीं चलती, सरकारें तो बस डण्डे से चलती है। एक भ्रष्ट व्यवस्था में फंसा ईमानदार व्यक्ति क्या कर सकता है। वैसे भी निष्क्रिय ईमानदार से सक्रिय बेईमान को जनता और व्यवस्था दोनों पसंद करते हैं। शायर का कहना बिलकुल सही है-
मत कहो कि आकाश में कोहरा घना है।
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है॥
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यशवन्त कोठारी,
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